ऑपरेशन सिंदूर से लेकर नारद की पत्रकारिता तक… जयपुर में हुआ लोकमंगल की पत्रकारिता का सम्मान
Narad Jayanti 2025: जयपुर में नारद जयंती पर आयोजित पत्रकार सम्मान समारोह में डिजिटल, प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के पत्रकारों को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में ऑपरेशन सिंदूर, लोकमंगल और राष्ट्रहित पर हुआ सारगर्भित संवाद।

जयपुर के पाथेय भवन स्थित नारद सभागार में मंगलवार को वीएसके फाउंडेशन की ओर से नारद जयंती के अवसर पर पत्रकार सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। यह मंच सिर्फ एक औपचारिक सम्मान नहीं, बल्कि पत्रकारिता के "लोकमंगलकारी पक्ष" को नमन करने का अवसर बन गया।
मुख्य अतिथि के रूप में राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ वागड़े, मुख्य वक्ता पांचजन्य पत्रिका के संपादक हितेश शंकर, और अध्यक्षता जयपुर प्रांत सह संघचालक हेमंत सेठिया ने की।
प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया के प्रतिनिधि हुए सम्मानित
इस समारोह में विभिन्न श्रेणियों के पत्रकारों को सम्मानित किया गया:
प्रिंट मीडिया: मेघश्याम पाराशर, राजस्थान पत्रिका (स्टोरी – "पुण्यार्थ जीवन, हितार्थ सौदा")
इलेक्ट्रॉनिक मीडिया: श्रीवत्सन, न्यूज़ 24 (मेवात में साइबर ठगी पर रिपोर्ट)
डिजिटल मीडिया: अभिषेक जोशी, भारत रफ्तार (सामाजिक समरसता पर रिपोर्टिंग)
“नारद सिर्फ संवाददाता नहीं, लोकमंगल के वाहक थे” हेमंत सेठिया
अपने उद्बोधन में हेमंत सेठिया ने कहा कि नारद मुनि भक्ति, ज्ञान, संवाद और न्याय के प्रतीक थे। वे पहले संवाददाता ही नहीं, लोकमंगल के प्रथम प्रहरी थे। आज की पत्रकारिता को भी उन्हीं के पदचिन्हों पर चलना चाहिए।”
उन्होंने कहा कि पर्यावरण, समरसता, शिक्षा और संस्कृति के मुद्दों पर सकारात्मक पत्रकारिता ही राष्ट्र के पुनर्निर्माण का मार्ग प्रशस्त कर सकती है।
“ऑपरेशन सिंदूर भारत की नैतिक विजय” हितेश शंकर
हितेश शंकर ने अपने भाषण में कहा कि “ऑपरेशन सिंदूर” न केवल सामरिक सफलता थी, बल्कि भारत की नैतिक स्थिति को विश्व पटल पर स्थापित करने वाली घटना थी। उन्होंने कहा:
“पाकिस्तान की आंतरिक अस्थिरता भारत की स्पष्ट रणनीति के बाद और गहराई। बलूच और पीओके जैसे दबे स्वर आज उम्मीद से बोल रहे हैं।”
उन्होंने पत्रकारों को प्रेरित करते हुए कहा कि उन्हें भारत की प्रत्येक घटना के "लोकमंगलकारी पहलू" को दुनिया तक पहुँचाना चाहिए।
राज्यपाल वागड़े का राष्ट्र के प्रति आह्वान
राज्यपाल हरिभाऊ वागड़े ने कहा कि जब नारद संवाद करते थे, तब मीडिया के साधन नहीं थे, परंतु मौखिक प्रचार की शक्ति अद्वितीय थी। संघ ने भी संकट के समय माउथ पब्लिसिटी से ही कार्य किया।
उन्होंने भारत की ऐतिहासिक क्षमताओं, गुरुकुल परंपरा, और वैदिक विज्ञान की चर्चा करते हुए कहा कि आधुनिक पत्रकारों को इन मूल्यों को नई पीढ़ी तक पहुँचाना चाहिए।
“हमें फिर से राष्ट्र के रूप में एकजुट होना होगा” राज्यपाल वागड़े
राज्यपाल ने कहा कि कश्मीर में काँटा चुभे तो केरल उठकर उसे निकाले यही है सच्चा राष्ट्रभाव। नई शिक्षा नीति और शोध आधारित राष्ट्र निर्माण ही भारत को पुनः विश्वगुरु बना सकता है।”
अंत में अभिषेक अग्रवाल ने धन्यवाद ज्ञापन दिया और इस आयोजन को “नैतिक पत्रकारिता के पुनर्जागरण का प्रतीक” बताया।