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आतंकवाद को जवाब नहीं, ‘संदेश’ चाहिए था, इसी सोच से जन्मा ‘ऑपरेशन सिंदूर’, जिसमें लाहौर से 400 किमी दूर तक मची तबाही

Operation Sindoor name reason: किसने रखा इसका नाम? किसने जलाई आतंकियों की लंका? पीएम मोदी के हनुमान अजीत डोभाल की रणनीति और कार्रवाई की पूरी इनसाइड रिपोर्ट पढ़िए।

आतंकवाद को जवाब नहीं, ‘संदेश’ चाहिए था, इसी सोच से जन्मा ‘ऑपरेशन सिंदूर’, जिसमें लाहौर से 400 किमी दूर तक मची तबाही
पीएम मोदी के हनुमान अजीत डोभाल की रणनीति और कार्रवाई

6 मई 2025, आधी रात को जब भारत की आम जनता गहरी नींद में थी, पाकिस्तान में मस्जिदों से “भागो-भागो, हमला हो गया!” की आवाजें गूंज रही थीं।
भारत की ओर से किए गए मिसाइल और एयरस्ट्राइक अटैक में पाकिस्तान के 9 आतंकी ठिकानों को ध्वस्त कर दिया गया। यह कार्रवाई पहलगाम आतंकी हमले का जवाब थी, जिसमें कई मासूमों के ‘सिंदूर’ उजड़ गए थे।

इसी पीड़ा से प्रेरणा लेकर भारत ने इस जवाबी एक्शन का नाम दिया...‘ऑपरेशन सिंदूर’

इस ऑपरेशन की कमान किसके पास थी?
इस अत्यधिक गोपनीय और सामरिक ऑपरेशन की कमान एनएसए अजीत डोभाल के हाथों में थी...जिन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ‘हनुमान’ कहा जाता है।
डोभाल ही वो शख्स थे जिन्होंने लाहौर से 409 किमी दूर बैठकर आतंकियों की लंका जला दी।
इस ऑपरेशन के लिए एक सीक्रेट कंट्रोल रूम बनाया गया था, जिसे खुद डोभाल और उनकी कोर टीम ने संभाला।

कैसे तय हुआ 'ऑपरेशन सिंदूर' का नाम?
इस मिशन का नाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद तय किया।
यह नाम एक संदेश था...पहलगाम हमले में शहीद लेफ्टिनेंट विनय नरवाल की पत्नी हिमांशी नरवाल के सिंदूर से प्रेरित।
सरकार का स्पष्ट उद्देश्य था:

"यह सिर्फ बदला नहीं, विधवाओं को न्याय और आतंकवादियों को अंतिम चेतावनी है।"

पूरी प्लानिंग, सटीक स्ट्राइक, सीमित जानकारी
ठिकानों की पहचान एनटीआरओ (National Technical Research Organisation) ने की

प्रत्येक आतंकी कैम्प पर हफ़्तों से नजर रखी जा रही थी

ऑपरेशन का अंतिम ग्रीन सिग्नल पीएम मोदी से मिला, जिन्हें रातभर पल-पल की अपडेट दी जाती रही

हमला इतना सटीक था कि 70+ आतंकी मारे गए और दर्जनों घायल